कस्तूरी मृग के उदाहरण के माध्यम से कबीर ने क्या स्पष्ट किया?
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कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढ़ूँढ़ै बन माँहि। उत्तर: हिरण की नाभि में कस्तूरी रहता है जिसकी सुगंध चारों ओर फैलती है। हिरण इससे अनभिज्ञ पूरे वन में कस्तूरी की खोज में मारा मारा फिरता है। इस दोहे में कबीर ने हिरण को उस मनुष्य के समान माना है जो ईश्वर की खोज में दर दर भटकता है।
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