कस्य जीवितं निरर्थकम्? (किसका जीवन निरर्थक है?)
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यस्य शीलं प्रणश्यति तस्य जीवितं निरर्थकम्। (जिसका शील नष्ट हो जाता है, उसका जीवन निरर्थक है।)
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कुशीनगर: यदि जीवन में लक्ष्य नहीं है तो फिर पूरा जीवन ही अधूरा है। सुखी जीवन के लिए लक्ष्य का निर्धारण बहुत जरूरी है। लक्ष्यविहीन जीवन, बिना दिशा की दौड़ की तरह होता है, जो केवल दुख की ओर ले जाता है। ऐसे में हमको अपने जीवन में अपने लक्ष्य के साथ ही आगे बढ़ना चाहिए।
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