कस्य धर्मः नश्यति? *
A नष्टक्रियस्य
B व्यसनिन:
Cअर्थपरस्य
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नष्ट हो जाता है। सरलार्थ : लालची व्यक्ति का यश, चुगलखोर की दोस्ती, कर्महीन का कुल, अर्थ/धन को अधिक महत्त्व देने वाले का धर्म अर्थात् धर्मपरायणता, बुरी आदतों वाले का विद्या का फल अर्थात् विद्या से मिलने वाला लाभ, कंजूस का सुख और प्रमाद करने वाले मन्त्री युक्त राजा को राज्य/सत्ता नष्ट हो जाता/जाती है।
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