कसम रूप की है, कसम प्रेम की है
कसम इस हृदय की, सुनो बात मेरी
अनोखी हवा है, बड़ी बावली हूँ।
बड़ी मस्तमौला, नहीं कुछ फिकर है
बड़ी ही निडर हूँ, जिधर चाहती हूँ
उधर घूमती हैं, मुसाफिर अजब हूँ।
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woww
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very nice shayari dear great pf you
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nice sayari miss
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hum bhi thodi bahut sayari bana lete hai
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