कश्मीर के बारे मे त्योहारो और अदर्शनिय स्थलो के बारे मे बताओं ।
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कश्मीर जिसे मुगल बादशाहों ने धरती का स्वर्ग भी कहा था। सालों के आतंकवाद के दौर के उपरांत अब पुनः एक पर्यटन स्थल के रूप में उभरकर सामने
आया है। हालांकि इस आतंकवाद के दौर के दौरान पर्यटकों की सुख-सुविधाओं के साधन अपनी आभा खो चुके हैं लेकिन उन स्थलों की आभा अभी भी बरकरार है, जो देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं। ललितादित्य मुख्तापिद हिन्दू साम्राज्य का आखिरी सम्राट था जिसने 1339 तक कश्मीर पर शासन किया था जबकि वर्ष 1420 से 70 एडी तक इस पर सम्राट जैन-उल-द्दीन का राज्य रहा था, जो सिर्फ बड़शाह के नाम से ही नहीं जाना जाता था बल्कि वह संस्कृत भाषा का एक स्नातक भी था। जबकि बादशाह अकबर ने मुगलों के लिए कश्मीर पर कब्जा इसलिए कर लिया, क्योंकि उन्हें श्रीनगर बहुत ही खूबसूरत लगा था तभी तो उन्होंने श्रीनगर शहर में मुगल उद्यानों तथा अनेक मस्जिदों का निर्माण करवाया था। लेकिन मुगलों का शासन भी अधिक देर तक नहीं चला, क्योंकि सिखों के बादशाह महाराजा रणजीत सिंह ने मुगलों को कश्मीर से 1839 में उखाड़ फेंका तो 1846 में डोगरा शासकों ने अमृतसर संधि के तहत 75 लाख रुपयों में खरीद लिया और देश के विभाजन के समय 1947 में जम्मू-कश्मीर एक राज्य के रूप में भारत का एक हिस्सा बन गया।
अदर्शनिय स्थलो
रघुनाथ मंदिर :- विभिन्न मंदिरों के शहर जम्मू में रघुनाथ मंदिर एक भव्य व आकर्षक मंदिर है। महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में इस मंदिर का निर्माण आरंभ करवाया था और बाद में उनके पुत्र महाराजा रणवीरसिंह ने 1860 में इसे पूरा करवाया था। इस मंदिर की आंतरिक सज्जा में सोने की पत्तियों तथा चद्दरों का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर में देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां दर्शनीय हैं।
रणवीरेश्वर मंदिर : जम्मू का दूसरा प्रसिद्ध मंदिर ‘रणवीरेश्वर मंदिर’ है जिसकी ऊंचाई के आगे सारी इमारतें छोटी दिखाई पड़ती हैं। महाराजा रणवीर सिंह द्वारा 1883 में बनाया गया यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है तथा पत्थर की पट्टी पर बने प्रहत शिवलिंगों के कारण प्रसिद्ध है। पीर खो : शहर से 3.5 किमी की दूरी पर सर्कुलर रोड पर स्थित यह स्थान एक प्राकृतिक शिवलिंग के कारण प्रसिद्ध है जिसके इतिहास की जानकारी आज भी नहीं मिल पाई है लेकिन लोककथा यह है कि इस लिंगम के सामने स्थित गुफा देश के बाहर किसी अन्य स्थान पर निकलती है।
अमर महल म्यूजियम : तवी नदी के किनारे पर पहाड़ी पर स्थित इस अनूठे महल का निर्माण फ्रेंच महल के नमूने पर किया गया है। अब म्यूजियम का रूप धारण कर चुके महल के भीतर शाही परिवार के चित्रों, पहाड़ी चित्रकला से संबंधित तथा पुस्तकालय को देखा जा सकता है, जो दर्शनीय है। डोगरा आर्ट गैलरी : पहले नए सचिवालय के पास स्थित डोगरा आर्ट गैलरी को अब पुराने सचिवालय में ले जाया गया है, जहां संग्रहालय के अतिरिक्त जम्मू तथा बसोहली की पहाड़ी कला तथा चित्रकला की चीजें संग्रहीत हैं। इनमें बसोहली शैली के आभूषण देखने लायक हैं। मुबारक मंडी : पुराने सचिवालय का असली नाम मुबारक मंडी है, जो पहले राजाओं के महल थे। हालांकि इसके कुछेक भाग गिर चुके हैं लेकिन बचे हुए अधिकांश भाग आज भी अपनी कारीगरी के लिए जाने जाते हैं, जो कला का एक बेजोड़ नमूना हैं।
आया है। हालांकि इस आतंकवाद के दौर के दौरान पर्यटकों की सुख-सुविधाओं के साधन अपनी आभा खो चुके हैं लेकिन उन स्थलों की आभा अभी भी बरकरार है, जो देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं। ललितादित्य मुख्तापिद हिन्दू साम्राज्य का आखिरी सम्राट था जिसने 1339 तक कश्मीर पर शासन किया था जबकि वर्ष 1420 से 70 एडी तक इस पर सम्राट जैन-उल-द्दीन का राज्य रहा था, जो सिर्फ बड़शाह के नाम से ही नहीं जाना जाता था बल्कि वह संस्कृत भाषा का एक स्नातक भी था। जबकि बादशाह अकबर ने मुगलों के लिए कश्मीर पर कब्जा इसलिए कर लिया, क्योंकि उन्हें श्रीनगर बहुत ही खूबसूरत लगा था तभी तो उन्होंने श्रीनगर शहर में मुगल उद्यानों तथा अनेक मस्जिदों का निर्माण करवाया था। लेकिन मुगलों का शासन भी अधिक देर तक नहीं चला, क्योंकि सिखों के बादशाह महाराजा रणजीत सिंह ने मुगलों को कश्मीर से 1839 में उखाड़ फेंका तो 1846 में डोगरा शासकों ने अमृतसर संधि के तहत 75 लाख रुपयों में खरीद लिया और देश के विभाजन के समय 1947 में जम्मू-कश्मीर एक राज्य के रूप में भारत का एक हिस्सा बन गया।
अदर्शनिय स्थलो
रघुनाथ मंदिर :- विभिन्न मंदिरों के शहर जम्मू में रघुनाथ मंदिर एक भव्य व आकर्षक मंदिर है। महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में इस मंदिर का निर्माण आरंभ करवाया था और बाद में उनके पुत्र महाराजा रणवीरसिंह ने 1860 में इसे पूरा करवाया था। इस मंदिर की आंतरिक सज्जा में सोने की पत्तियों तथा चद्दरों का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर में देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां दर्शनीय हैं।
रणवीरेश्वर मंदिर : जम्मू का दूसरा प्रसिद्ध मंदिर ‘रणवीरेश्वर मंदिर’ है जिसकी ऊंचाई के आगे सारी इमारतें छोटी दिखाई पड़ती हैं। महाराजा रणवीर सिंह द्वारा 1883 में बनाया गया यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है तथा पत्थर की पट्टी पर बने प्रहत शिवलिंगों के कारण प्रसिद्ध है। पीर खो : शहर से 3.5 किमी की दूरी पर सर्कुलर रोड पर स्थित यह स्थान एक प्राकृतिक शिवलिंग के कारण प्रसिद्ध है जिसके इतिहास की जानकारी आज भी नहीं मिल पाई है लेकिन लोककथा यह है कि इस लिंगम के सामने स्थित गुफा देश के बाहर किसी अन्य स्थान पर निकलती है।
अमर महल म्यूजियम : तवी नदी के किनारे पर पहाड़ी पर स्थित इस अनूठे महल का निर्माण फ्रेंच महल के नमूने पर किया गया है। अब म्यूजियम का रूप धारण कर चुके महल के भीतर शाही परिवार के चित्रों, पहाड़ी चित्रकला से संबंधित तथा पुस्तकालय को देखा जा सकता है, जो दर्शनीय है। डोगरा आर्ट गैलरी : पहले नए सचिवालय के पास स्थित डोगरा आर्ट गैलरी को अब पुराने सचिवालय में ले जाया गया है, जहां संग्रहालय के अतिरिक्त जम्मू तथा बसोहली की पहाड़ी कला तथा चित्रकला की चीजें संग्रहीत हैं। इनमें बसोहली शैली के आभूषण देखने लायक हैं। मुबारक मंडी : पुराने सचिवालय का असली नाम मुबारक मंडी है, जो पहले राजाओं के महल थे। हालांकि इसके कुछेक भाग गिर चुके हैं लेकिन बचे हुए अधिकांश भाग आज भी अपनी कारीगरी के लिए जाने जाते हैं, जो कला का एक बेजोड़ नमूना हैं।
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जम्मू-कश्मीर उत्तर भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां पर्यटन की संभावनाएं बहुत ही प्रबल हैं। हालांकि 26 सालों से चल रहे आतंकवाद के कारण सब कुछ छिन्न-भिन्न हो चुका है। लेकिन बावजूद इसके आज भी इसके पर्यटन स्थल दुनियाभर के लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। इसके तीन क्षेत्रों- जम्मू, लद्दाख और कश्मीर के हजारों पर्यटन स्थल आज भी अपनी शोभा को बरकरार रखे हुए हैं।
रघुनाथ मंदिर :- विभिन्न मंदिरों के शहर जम्मू में रघुनाथ मंदिर एक भव्य व आकर्षक मंदिर है। महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में इस मंदिर का निर्माण आरंभ करवाया था और बाद में उनके पुत्र महाराजा रणवीरसिंह ने 1860 में इसे पूरा करवाया था।
पीर खो : शहर से 3.5 किमी की दूरी पर सर्कुलर रोड पर स्थित यह स्थान एक प्राकृतिक शिवलिंग के कारण प्रसिद्ध है जिसके इतिहास की जानकारी आज भी नहीं मिल पाई है!
इनही की तरह और भी मंदिर सरोवर और घाट है । जहाँ हर तयोहार धूमधाम से मनाया जाता है
THANKS ❤
#Nishu HarYanvi ♥
रघुनाथ मंदिर :- विभिन्न मंदिरों के शहर जम्मू में रघुनाथ मंदिर एक भव्य व आकर्षक मंदिर है। महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में इस मंदिर का निर्माण आरंभ करवाया था और बाद में उनके पुत्र महाराजा रणवीरसिंह ने 1860 में इसे पूरा करवाया था।
पीर खो : शहर से 3.5 किमी की दूरी पर सर्कुलर रोड पर स्थित यह स्थान एक प्राकृतिक शिवलिंग के कारण प्रसिद्ध है जिसके इतिहास की जानकारी आज भी नहीं मिल पाई है!
इनही की तरह और भी मंदिर सरोवर और घाट है । जहाँ हर तयोहार धूमधाम से मनाया जाता है
THANKS ❤
#Nishu HarYanvi ♥
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