Kashmir samasya par samvad
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कश्मीर में बढ़ता आतंकवाद देश की सुरक्षा व आंतरिक शांति के परिप्रेक्ष्य में गंभीर मुद्दा है। कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को कोसते रहकर कर्तव्य की इतिश्री कर लेना किस हद तक सही है, इस विषय पर जागरण विमर्श में सोमवार को स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री ने जागरण कार्यालय में चर्चा की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक, राजनीतिक व सामाजिक परिस्थितियों और इतिहास के अहम पहलुओं पर रोशनी डालते हुए कश्मीर की वर्तमान समस्या पर कई महत्वपूर्ण बातें सामने रखीं। साथ ही हाल ही में कश्मीर में हो रही पत्थरबाजी के व्यापार बनते जाने पर भी चिंता जताई।
डॉ. अग्निहोत्री ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। कश्मीर घाटी में जिस प्रकार से पत्थरबाजी व ¨हसक घटनाएं हो रही हैं वह दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ अलगाववादी लोगों के संरक्षण में पत्थरबाजी वहां पर व्यापार बन चुका है। कश्मीर की असल समस्या दरअसल पूरे जम्मू-कश्मीर की नहीं बल्कि छोटे से हिस्से घाटी की है। हमें यह विचार करना होगा कि वहां पर आखिर कब तक ¨हसा होती रहेगी। कश्मीर समस्या से निपटने के लिए सेना के सामने आने वाली दिक्कतों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अलगाववादियों अथवा अराजक तत्वों पर सख्ती तो बेशक बरतनी ही होगी, लेकिन पत्थरबाजी में शामिल आठ साल के बच्चे पर गोली तो नहीं चलाई जा सकती। इस समस्या का कोई हल ढूंढ़ना ही होगा। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि आतंकवादियों को किसी भी दशा में नहीं छोड़ना है, भारत विरोधी तत्वों पर मानवाधिकार के कायदे लागू करने की भी बाध्यता नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थितियां अभी ऐसी नहीं हैं कि भारत सीधे तौर पर युद्ध छेड़ दे। संवाद, सहमति और संयम से ही कश्मीर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
डॉ. अग्निहोत्री ने कहा कि हमें हर स्थिति से निपटने के लिए अपनी आंतरिक व सैन्य सुरक्षा को मजबूती देनी होगी। पाकिस्तान यह जानते हुए कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है अनर्गल अशांति फैलाने की मंशा में लगा रहता है। इससे निपटने के लिए भारत को हर वक्त तैयार रहना चाहिए। उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के संदर्भ में कहा कि इस पर संसद पर चर्चा होनी चाहिए, जिससे सबके विचार सामने आ सकें। इसके अलावा अगर कश्मीर के लिए जनमत संग्रह हो तो वह पूरे देश में हो न कि सिर्फ एक क्षेत्र विशेष में, क्योंकि कश्मीर पूरे भारत का है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर आज भारत का हिस्सा बना हुआ है तो उसका श्रेय सिर्फ भारतीय सेना को जाता है। बदली परिस्थितियों में सेना को कार्रवाई के लिए छूट दी गई है। कहा कि किसी भी देश की सुरक्षा उसके शीर्ष नेतृत्व व्यक्तित्व पर निर्भर करती है। इससे पहले सेना के हाथ बंधे थे। उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि यदि हमारा प्रधानमंत्री प्रभावशाली होगा तो पड़ोसी मुल्क के साथ ही अन्य देश भी सम्मान करेंगे। उन्होंने कश्मीर की दशा को सुधारने के लिए वहां के नौजवानों को रोजगार व शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही।
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डॉ. अग्निहोत्री ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। कश्मीर घाटी में जिस प्रकार से पत्थरबाजी व ¨हसक घटनाएं हो रही हैं वह दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ अलगाववादी लोगों के संरक्षण में पत्थरबाजी वहां पर व्यापार बन चुका है। कश्मीर की असल समस्या दरअसल पूरे जम्मू-कश्मीर की नहीं बल्कि छोटे से हिस्से घाटी की है। हमें यह विचार करना होगा कि वहां पर आखिर कब तक ¨हसा होती रहेगी। कश्मीर समस्या से निपटने के लिए सेना के सामने आने वाली दिक्कतों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अलगाववादियों अथवा अराजक तत्वों पर सख्ती तो बेशक बरतनी ही होगी, लेकिन पत्थरबाजी में शामिल आठ साल के बच्चे पर गोली तो नहीं चलाई जा सकती। इस समस्या का कोई हल ढूंढ़ना ही होगा। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि आतंकवादियों को किसी भी दशा में नहीं छोड़ना है, भारत विरोधी तत्वों पर मानवाधिकार के कायदे लागू करने की भी बाध्यता नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थितियां अभी ऐसी नहीं हैं कि भारत सीधे तौर पर युद्ध छेड़ दे। संवाद, सहमति और संयम से ही कश्मीर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
डॉ. अग्निहोत्री ने कहा कि हमें हर स्थिति से निपटने के लिए अपनी आंतरिक व सैन्य सुरक्षा को मजबूती देनी होगी। पाकिस्तान यह जानते हुए कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है अनर्गल अशांति फैलाने की मंशा में लगा रहता है। इससे निपटने के लिए भारत को हर वक्त तैयार रहना चाहिए। उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के संदर्भ में कहा कि इस पर संसद पर चर्चा होनी चाहिए, जिससे सबके विचार सामने आ सकें। इसके अलावा अगर कश्मीर के लिए जनमत संग्रह हो तो वह पूरे देश में हो न कि सिर्फ एक क्षेत्र विशेष में, क्योंकि कश्मीर पूरे भारत का है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर आज भारत का हिस्सा बना हुआ है तो उसका श्रेय सिर्फ भारतीय सेना को जाता है। बदली परिस्थितियों में सेना को कार्रवाई के लिए छूट दी गई है। कहा कि किसी भी देश की सुरक्षा उसके शीर्ष नेतृत्व व्यक्तित्व पर निर्भर करती है। इससे पहले सेना के हाथ बंधे थे। उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि यदि हमारा प्रधानमंत्री प्रभावशाली होगा तो पड़ोसी मुल्क के साथ ही अन्य देश भी सम्मान करेंगे। उन्होंने कश्मीर की दशा को सुधारने के लिए वहां के नौजवानों को रोजगार व शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही।
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