कतारबदल का भावना हात हुए भा भगतक मनमक्या पारवतन आर
जैसे नशे में आदमी की देह अपने काबू में नहीं रहती, पैर कहीं रहता है, पड़ता कहीं है, कहता कुछ है, जबान से निकलता कुछ
है। वही हाल उस समय भगत का था। मन में प्रतिकार था, कर्म मन के अधीन न था। जिसने कभी तलवार नहीं चलाई. वह
इरादा करने पर भी तलवार नहीं चला सकता। उसके हाथ काँपते हैं, उठते ही नहीं।
भगत लाठी खट-खट करता लपका चला जाता था। चेतना रोकती थी, पर उपचेतना ठेलती थी। सेवक स्वामी पर हावी था।
प्रश्न- (क) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम (संदर्भ) लिखिए।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(ग) चौकीदार द्वारा कैलाश की मरणासन्न स्थिति की बात सुनकर भगत की क्या दशा हुई?
(घ) भगत की किस मनोदशा का वर्णन हुआ है?
(ङ) "सेवक स्वामी पर हावी था।" यहाँ सेवक कौन है और स्वामी कौन है?
(च) भगत
भगत की तुलना ऐसे व्यक्ति से क्यों की गई है जिसने कभी तलवार नहीं चलाई?
मैं उसे खोज निकालँगा और
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