Hindi, asked by maheshshar111, 4 months ago

कटते पेड़ बढ़ता प्रदूषण अनुच्छेद लिखिए​

Answers

Answered by laxmilas1310
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Explanation:

वनों की कटाई से वायु प्रदूषण बढ़ता है, पर्यावरण में जहरीली गैसों का स्तर बढ़ता है, मिट्टी और जल प्रदूषण बढ़ता है, पर्यावरणीय गर्मी बढ़ती है, और कई अन्य। वनों की कटाई के सभी नकारात्मक प्रभाव कई स्वास्थ्य विकारों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से फेफड़ों और श्वसन समस्याओं का कारण बनते हैं।

Answered by chinnasamy1235
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Answer:

एक समय था जब धरती का बहुत बड़ा भाग घने जंगलों से भरा हुआ था । तब उन पर पक्षी चहचहाते होंगे म और पेड़ स्वयं हवा में झूमते होंगे । आदि मानव उनकी शरण में रहता होगा । वह उन जंगलों से ही अपना भोजन और आश्रय प्राप्त करता होगा पर अब जब मनुष्य स्वयं को सभ्य समझने लगा है, उसने उन जंगलों को इतनी तेजी से काट डाला है कि धरती का हरा- भरा भाग नंगा हो गया है । वह रेगिस्तान में बदल गया है । दुनिया का सबसे बड़ा सहारा रेगिस्तान भी कभी घने जंगलों से भरा हुआ था ।

कारण- इस संसार में सबसे बड़ा स्वार्थी प्राणी इनसान है । वह किसी को भी उजाड़ कर स्वयं सुख पाना चाहता है । उसने अपने जीवन को सुखी बनाने की इच्छा से जंगलों की व्यन्धाधु ध कटाई की जिसका परिणाम यह हुआ विश्व में जंगल समाप्त होने के कगार पर पहुँच गए । वह भूल गया कि जंगल वातावरण को सुरक्षा प्रदान करते हैं । वही हमारे जीवन के लिए उपयोगी आक्सीजन हवा में छोड़ते हैं । वे हवा की भीतरी नमी को बनाकर रखते हैं जिससे हवा में ठण्डी रहती है । वृक्षों की जड़ें वर्षा के पानी को बह जाने से रोकती हैं । वे बाढ़ पर नियन्त्रण करते हैं । वही वर्षा दर पर संतुलन रखते हैं । न जाने कितनी जड़ी- बूटियाँ और उपयोगी सामग्रियां जंगलों से ही प्राप्त होती हैं । रबड़, लाख, गोंद, मोम, शहद आदि जंगलों से प्राप्त होते हैं । यही मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखते हैं पर जब से इंसान ने जंगलों को काटना शुरू किया है तब से वातावरण में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है । संयुक्त राष्ट्र के वातावरण कार्यक्रम 1987 के आकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि दुनिया के 29 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र का तब तक सफाया हो चुका था । सब से अधिक जंगल हमारे देश में काटे गए हैं । बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिक विकास, कृषि विस्तार, अल्पकालीन नीतियों और अज्ञान के कारण पेड़ बहुत तेजी से काटे गए हैं । हजारों-लाखों वर्षों से संचित जंगल रूपी संपत्ति का हमने नाश कर दिया है । जंगलों की कटाई का ही परिणाम है कि स्मृलन, मिट्‌टी क्षरण और जल स्तर नीचे जाने लगे हैं । डैमों की आयु कम हो गई है और बाढ़ का खतरा बढ़ने लगा है ।

हानियाँ- कटते जंगल सारे प्राणी जगत् के लिए हानिकारक हैं । जैसे-जैसे जंगलों को काट कर उद्योग- धंधे लगाए जा रहे हैं, वैसे-वैसे वायु में कार्बन-डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि हानिकारक गैसें हवा में बढ़ने लगी हैं । ऑक्सीजन की कमी होने लगी है । जंगल ही ऑक्सीजन का एकमात्र स्रोत हैं । ये जीवों द्वारा पैदा की गई कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण कर बदले में ऑक्सीजन देते हैं । हमारी पृथ्वी के चारों ओर फैली ओजोन की रक्षा परत भी ऑक्सीजन से ही बनी है । जंगल प्रदूषण पर नियंत्रण करते हैं । प्रदूषण उस समय बढ़ता है जब वातावरण -में जहरीली गैसें बढ़ती हैं । जंगलों के पेड़ जहरीली गैसों को सोखने की क्षमता रखते हैं । जैसे-जैसे जंगल कटते जाएंगे वैसे-वैसे वायु विषैली होती जाएगी ।

भविष्य पर प्रभाव- जंगलों के दृश्य लाभ की अपेक्षा अदृश्य लाभ कई गुना अधिक है । ये विभिन्न प्रकार की ऊर्जा पैदा करने में सहायक होते हैं । वृक्षों की लकड़ी ताप ऊर्जा की पारस्परिक स्रोत हैं । पैट्रोल, रसोई गैस, कोयला आदि का आधार भी जंगल हैं । अरबों वर्ष पहले धरती की गहरी तहों में दबे विशाल जंगल हमारे विकास आधारित ऊर्जा स्रोत हैं । स्वयं को अक्लमंद समझने वाले हम इंसान जंगल काटने के कार्य में तो मंद अकल का परिचय दे रहे हैं । हम तो सोने का अंडा देने वाली मुर्गी का पेट फाड़ कर सोने के अंडे प्राप्त करने की कोशिश करने वाले मूर्ख हैं । हमारे द्वारा जंगलों को काटने के दुष्परिणाम हम भोग रहे हैं और आने वाले समय इन कष्टों की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाने वाली है ।

उपसंहार- जंगलों के कट जाने से धरती बंजर हो जाएगी । हवा का तापमान बहुत बढ़ जाएगा । ग्लेशियर तेजी से पिघलने . लगेंगे । जिस कारण नदियों में भयंकर बाईं आएंगी । समुद्रों का जल स्तर बढ़ जाएगा समुद्री तटों पर बसी बस्तियां और नगर डूब जाएंगे । जंगल काट. कर हम मनुष्य अपने विनाश को स्वयं बुला रहे हैं । अभी भी समय है कि हम सचेत हो जाएं । जो जंगल कट चुके हैं वहाँ नए जंगल लगाएं । हम सदा याद रखें कि हमारा जीवन पेड़ लगाने से सुरक्षित रहेगा, न कि काटने से ।

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