कटते वृक्षों पर चिंता जताते हुए पशु पक्षियों के वार्तालाप को संवाद के रूप में लिखिए।
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(संवाद लेखन)
कटते वृक्षों पर चिंता जताते हुए पशु पक्षियों का वार्तालाप
(कटते वृक्षों पर चिंता जताते हुए दो पक्षियों कबूतर और तोता के बीच वार्तालाप हो रहा है)
कबूतर : मित्र तोता! हमारे रहने के आशियाने दिन-प्रतिदिन उजड़ते जा रहे हैं।
तोता : मित्र कबूतर! मानव की महत्वकाक्षांओं ने हमारे लिये संकट पैदा कर दिया है। ये मनुष्य लोग रोज वृक्षों का अंधाधुंध काटते जा रहे हैं।
कबूतर : हाँ, वो ही तो मैं कर रहा हूँ। ये वृक्ष ही हमारा असली घर हैं। इसी तरह लगातार वृक्ष कम होते रहे तो हम कहाँ जायेंगे।
तोता : मानव की महत्वाकांक्षाओं के आगे हम बेबस हैं।
कबूतर : हाँ सही कह रहे हो मित्र।
तोता : पता नही इसका समाधान कैसे होगा।
कबूतर : मनुष्य को समझना चाहिये कि वृक्ष केवल हमारे लिये ही उसके लिये जीवनदायी हैं।
तोता : भगवान मनुष्य को थोड़ी सद्बुद्धि दे, वो वृक्षों को काटना बंद करे ताकि हम भी चैन से जी सकें।
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Answer:
कटते वृक्षों पर चिंता जताते हुए पशु
पक्षियों का वार्तालाप
(कटते वृक्षों पर चिंता जताते हुए दो पक्षियों कबूतर और तोता के बीच वार्तालाप हो रहा है)
कबूतर : मित्र तोता! हमारे रहने के आशियाने दिन-प्रतिदिन उजड़ते जा रहे हैं।
तोता : मित्र कबूतर ! मानव की महत्वकाक्षांओं ने हमारे लिये संकट पैदा कर दिया है। ये मनुष्य लोग रोज वृक्षों का अंधाधुंध कटते जा रहे हैं।
कबूतर : हाँ, वो ही तो मैं कर रहा हूँ। ये वृक्ष ही हमारा असली घर हैं। इसी तरह लगातार वृक्ष कम होते रहे तो हम कहाँ जायेंगे।
तोता : मानव की महत्वाकांक्षाओं के आगे हम बेबस हैं।
कबूतर : हाँ सही कह रहे हो मित्र।
तोता : पता नही इसका समाधान कैसे होगा।
कबूतर : मनुष्य को समझना चाहिये कि हमारे लिये ही उसके लिये जीवनदायी हैं। वृक्ष केवल
तोता : भगवान मनुष्य को थोड़ी सद्बुद्धि दे, वो वृक्षों को काटना बंद करे ताकि हम भी चैन से जी सकें।