Kate hue ped ki kahani long essay
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कट्टे हुए पेड़ की कहानी
मैं एक कट्टे हुए पेड़ की कहानी सुना रही हूँ | यह उस पेड़ की कहानी ही जब मैं मेरा जन्म हुआ था, तब से मैं उस पेड़ को देखती आ रही हूँ | यह पेड़ बुत ही पुराना था | यह पेड़ बहुत बड़ा था और हरा-भरा था | इस पेड़ ने सब बहुत मदद की गर्मियों में अपनी छाया देकर | जब भी मैं अकेले में समय बिताना होता था मैंने इसी के पास जा कर समय बताती थी |
कुछ सालों के लिए मैं बहार पढ़ने चली गई , जब मैं वापिस आई तब मैंने देखा तो यह पेड़ कट चूका था | मुझे देख कर बड़ा दुःख हुआ | मैं उस कट्टे हुए पेड़ के पास गई और उससे पूछा तुम्हारा हाल किसने किया| पेड़ बहुत ही कमज़ोर और दुखी दिख रहा था |
पेड़ बहुत ही कमज़ोर और दुखी था | पेड़ अपने दुःख के साथ , क्या बताऊँ , सब लोगों ने मिलकर अपने लाभ के लिए मुझे काट दिया | थोड़ा-थोड़ा करते-करते हर दिन काटते रहे | उन लोगों को पता नहीं क्या चाहिए था , मेरा यह हाल कर दिया | शायद इन लोगों को मेरी पत्तियों का कूड़ा लग रहा था रोज़ मेरी टहनियाँ काटते थे | पर कोई लोग सफ़ाई नहीं कर सकते थे , इसके बदले उन्होंने मुझे काट दिया |
कुछ लोगों को धूप नहीं आ रही थी उनके घर तक , इसलिए मुझे काट दिया | अब देखो मुझे काट-काट के छोटा कर दिया अब तो मैं बढ़ नहीं सकता हूँ और ना अब मैंने हरा भरा हूँ | मैं किसी काम नहीं रहा हूँ | मुझे अब अपना जीवन बिलकुल अच्छा नहीं लगता | अब मेरी जरूरत किसी को नहीं है , कोई मुझसे बात नहीं करता , मेरी तरफ़ देखता नहीं है | जब जरूरत थी , तब पूछते थे लेकिन अब कोई नहीं पूछता है |
सच्च खून मुझे आपकी यह हालत देख कर मुझे बहुत दुःख हो रहा है | किसी को ऐसा नहीं करना चाहिए | आपकी अहमियत बहुत है लोगों को पता नहीं है | पेड़ नहीं होंगे तो हमारा जीवन कुछ नहीं है | इस प्रकार मुझे कट्टे हुए पेड़ की कहानी सुनकर बुत दुःख हुआ और पेड़ भी दुखी है |
कट्टे हुए पेड़ की कहानी
मैं एक कट्टे हुए पेड़ की कहानी सुना रही हूँ | यह उस पेड़ की कहानी ही जब मैं मेरा जन्म हुआ था, तब से मैं उस पेड़ को देखती आ रही हूँ | यह पेड़ बुत ही पुराना था | यह पेड़ बहुत बड़ा था और हरा-भरा था | इस पेड़ ने सब बहुत मदद की गर्मियों में अपनी छाया देकर | जब भी मैं अकेले में समय बिताना होता था मैंने इसी के पास जा कर समय बताती थी |
कुछ सालों के लिए मैं बहार पढ़ने चली गई , जब मैं वापिस आई तब मैंने देखा तो यह पेड़ कट चूका था |
मुझे देख कर बड़ा दुःख हुआ | मैं उस कट्टे हुए पेड़ के पास गई और उससे पूछा तुम्हारा हाल किसने किया| पेड़ बहुत ही कमज़ोर और दुखी दिख रहा था |
पेड़ बहुत ही कमज़ोर और दुखी था | पेड़ अपने दुःख के साथ , क्या बताऊँ , सब लोगों ने मिलकर अपने लाभ के लिए मुझे काट दिया | थोड़ा-थोड़ा करते-करते हर दिन काटते रहे | उन लोगों को पता नहीं क्या चाहिए था , मेरा यह हाल कर दिया | शायद इन लोगों को मेरी पत्तियों का कूड़ा लग रहा था रोज़ मेरी टहनियाँ काटते थे | पर कोई लोग सफ़ाई नहीं कर सकते थे , इसके बदले उन्होंने मुझे काट दिया |
कुछ लोगों को धूप नहीं आ रही थी उनके घर तक , इसलिए मुझे काट दिया | अब देखो मुझे काट-काट के छोटा कर दिया अब तो मैं बढ़ नहीं सकता हूँ और ना अब मैंने हरा भरा हूँ | मैं किसी काम नहीं रहा हूँ | मुझे अब अपना जीवन बिलकुल अच्छा नहीं लगता | अब मेरी जरूरत किसी को नहीं है , कोई मुझसे बात नहीं करता , मेरी तरफ़ देखता नहीं है | जब जरूरत थी , तब पूछते थे लेकिन अब कोई नहीं पूछता है |
सच्च कहूँ मुझे आपकी यह हालत देख कर मुझे बहुत दुःख हो रहा है | किसी को ऐसा नहीं करना चाहिए | आपकी अहमियत बहुत है लोगों को पता नहीं है | पेड़ नहीं होंगे तो हमारा जीवन कुछ नहीं है | इस प्रकार मुझे कट्टे हुए पेड़ की कहानी सुनकर बुत दुःख हुआ और पेड़ भी दुखी है |