Hindi, asked by manpreetkaurkalsi18, 2 months ago

कथा लखन
1. कोविड-19 वैश्विक महामारी ने सारी दुनिया को झकझोर रखा है। इस वैश्विक महामारी ने जहां सारी दुनिया
में निराशा का अंधकार फैला दिया है वहीं कुछ ऐसी घटनाएं भी घटी है जिन्होंने मनुष्य में मानवता का संचार
किया है। ऐसी किसी घटना को आधार बनाकर सचित्र लघु कथा लिखिए एवं आकर्षक शीर्षक दीजिए।

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and please don't write unnecessarily

Answers

Answered by SandySanjeet
4

Answer:

मानवता के इस महासंकट के समय सबसे बड़ी कमी जो हम देख रहे हैं, वो है किसी वैश्विक नेतृत्व का अभाव. जिसके न होने के कारण ही हम कोरोना वायरस के प्रकोप को बढ़ने से नहीं रोक सके.

कोरोना वाइरस, कोविड -19, वैश्विक महामारी, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, जैविक हथियार, वैश्विक नेतृत्व, भारतीय विदेश नीति, अंतरराष्ट्रीय मामले, सामरिक अध्ययन

अगर सामने मौत खड़ी हो, तो दिमाग़ में उसके सिवा कुछ और नहीं आता. इस वक़्त दुनिया ठीक उसी मोड़ पर खड़ी दिखाई देती है. एक सीमाविहीन विश्व से अब मानवता उस दिशा में बढ़ रही है जहां पर सरहदें हमारे घरों के दरवाज़ों तक आ गई हैं. चलती फिरती दुनिया अब सहम कर खड़ी हो गई है. वहीं, इसके उलट साइबर दुनिया में हलचल तेज़ हो गई है.

इस मोड़ पर मैं उस बात को एक बार फिर दोहराना चाहता हूं, जो मैं लगातार कहता रहा हूं: ईंट और पत्थरों वाली जो मानव सभ्यता पिछले कई हज़ार वर्षों में विकसित हुई है, और वर्चुअल मानव समाज जो हालिया दशकों की देन है, वो दोनों ही नए रंग रूप में ढल रहे हैं. मानवता का इतिहास आज इन्हीं दो सभ्यताओं का मेल कराने वाले चौराहे पर खड़ा है. आज सोशल डिस्टेंसिंग ही नई संप्रभुता है.

आज नए कोरोना वायरस का संक्रमण दो सौ दस से अधिक संप्रभु देशों में फैल चुका है. इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या पंद्रह लाख से ज़्यादा हो गई है. जबकि इस महामारी ने अब तक एक लाख लोगों को काल के गाल में डाल दिया है. इसलिए अब इस महामारी को वास्तविक रूप में हम वैश्विक महामारी कह सकते हैं. हालांकि, ये संकट इतना बड़ा है कि लोग ये सोच ही नहीं पा रहे हैं कि इस महामारी के संकट के बाद जो दुनिया बचेगी, उसका रंग रूप कैसा होगा? ये नई दुनिया दिखने में कैसी होगी? क्या ये महामारी इक्कीसवीं सदी की पहले दोराहे पर खड़ी दुनिया की चुनौती है? ये वो प्रश्न हैं जिनके उत्तर तलाशने का प्रयास हमें करना होगा.

बीसवीं सदी में कम से कम पांच ऐसी घटनाएं हुईं जिन्होंने मानव सभ्यता के भौगोलिक और सामरिक इतिहास का रुख़ मोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. 1914 से 1918 के बीच लड़ा गया पहला विश्व युद्ध. 1939 से 1945 के दौरान लड़ा गया दूसरा विश्व युद्ध. इसके बाद साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का पतन और इसी के साथ साथ एशिया, अफ्रीका, लैटिन और दक्षिणी अमेरिका में नए स्वतंत्र राष्ट्रों का उदय भी हुआ. 1945 से 1991 के दौरान अमेरिका और उसके सहयोगी देशों का सोवियत संघ और उसके साथी देशों के साथ चला शीत युद्ध. इस दौरान दुनिया दो ध्रुवों में बंट गई. जबकि कई देशों ने गुट निरपेक्षता की राह पर चलने का निर्णय किया. और आख़िर में 1991 में शीत युद्ध का अंत और एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था के उदय के साथ साथ अमेरिका के नेतृत्व में भूमंडलीकरण.

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Answered by jasvindarsinghkuttan
9

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