कठो, नई किरण लिए जगा रही नई उषा
उठो, उठो नए संदेश दे रही दिशा-दिशा।
खिले कमल अरुण, तरुण प्रभात मुस्करा रहा,
गगन विकास का नवीन, साज है सजा रहा।
उठो, चलो, बढ़ो, समीर शंख है बजा रहा,
भविष्य सामने खड़ा प्रशस्त पथ बना रहा,
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