कथकलि अथवा गैर नृत्य शैली का विस्तृत वर्णन कीजिये।
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राजस्थान और गुजरात के ग्रामीण अंचलों में होली के त्यौहार पर किया जाने वाला समूह नृत्य, प्रमुखतः जिसमें पुरुष नर्तक हाथों में लंबे डंडे थाम कर लोक वाद्यों की ताल पर नाचते हैं। इन डंडो को रंग से सजाए जाते हैँ| कोई इनको बनाने के लिए गीली लकडी पर ही छाल लपेटकर आग में सेंकते है जिसे अच्छी डिजाइन तैयार हो जाती है| मारवाड अंचल खास कर सिरोही व जालोर में इन डंडो को डीडीएँ तथा नाचने वालो को गैरीएँ कहा जाता है| यह नृत्य होली से शूरु होकर शीतला सप्तमी तक चलता है|
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