Hindi, asked by Shrikantbhise3302, 9 hours ago

कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन। जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल दीन॥इस विषय पर एक छोटी सी कहानी

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Answered by aman3319rty
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रहीम कहते हैं कि स्वाति-नक्षत्र की वर्षा की बूँद तो एक ही हैं, पर उसका गुण संगति के अनुसार बदलता है। कदली में पड़ने से उस बूँद की कपूर बन जाती है, अगर वह सीप में पड़ी तो मोती बन जाती है तथा साँप के मुँह में गिरने से उसी बूँद का विष बन जाता है। इंसान भी जैसी संगति में रहेगा, उसका परिणाम भी उस वस्तु के अनुसार ही होगा।

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