“कथनेन” पदे प्रयुक्त विभक्ति वचंन च लिखित।
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सम्बोधन, एकवचन में प्रथमा विभक्ति के एकवचन के रूप में कहीं थोड़ा परिवर्तन हो जाता है, द्विवचन तथा बहुवचन के रूप पूर्णतया प्रथमा विभक्ति के समान चलते हैं। ... जैसे 'नमस्करोति' क्रिया के कर्म में द्वितीया कारक विभक्ति का प्रयोग उचित है (नमस्करोति = नमः + करोति) भले ही नमः के योग में चतुर्थी उपपद विभक्ति का नियम रहता है।
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