Hindi, asked by sakshithetakshi, 1 month ago

कथनी और करनी में भेदभाव बताने वाली कहानी
Short story!!​

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Answered by ElegantPrince
35

Story

फर्क कथनी और करनी का: सुच्चामल ने क्या बुरा किया

ज्ञान भंडारे की पूरीसब्जी की तरह है जिसे जितनी चाहे बांटो, कतारें कम नहीं होतीं. ऐसे में सुच्चामल अगर फर्जी ज्ञान का रायता पूरे पार्क में फैला रहे थे तो क्या बुरा किया.

सुच्चामल हमारी कालोनी के दूसरे ब्लौक में रहते थे. हर रोज मौर्निंग वाक पर उन से मुलाकात होती थी. कई लोगों की मंडली बन गई थी. सुबह कई मुद्दों पर बातें होती थीं, लेकिन बातों के सरताज सुच्चामल ही होते थे. देशदुनिया का ऐसा कोई मुद्दा नहीं होता था जिस पर वे बात न कर सकें. उस पर किसी दूसरे की सहमतिअसहमति के कोई माने नहीं होते थे, क्योंकि वे अपनी बात ले कर अड़ जाते थे. उन की खुशी के लिए बाकी चुप हो जाते थे. बड़ी बात यह थी कि वे, सेहत के मामले में हमेशा फिक्रमंद रहते थे. एकदम सादे खानपान की वकालत करते थे. मोटापे से बचने के कई उपाय बताते थे. दूसरों को डाइट चार्ट समझा देते थे. इतना ही नहीं, अगले दिन चार्ट लिखित में पकड़ा देते थे. फिर रोज पूछना शुरू करते थे कि चार्ट के अनुसार खानपान शुरू किया कि नहीं. हालांकि वे खुद भी थोड़ा थुलथुल थे लेकिन वे तर्क देते थे कि यह मोटापा खानपान से नहीं, बल्कि उन के शरीर की बनावट ही ऐसी है.

एक दिन सुबह मुझे काम से कहीं जाना पड़ा. वापस आया, तो रास्ते में सुच्चामल मिल गए. मैं ने स्कूटर रोक दिया. उन के हाथ में लहराती प्लास्टिक की पारदर्शी थैली को देख कर मैं चौंका, चौंकाने का दायरा तब और बढ़ गया जब उस में ब्रैड व बड़े साइज में मक्खन के पैकेट पर मेरी नजर गई. मैं सोच में पड़ गया, क्योंकि सुच्चामल की बातें मुझे अच्छे से याद थीं. उन के मुताबिक वे खुद भी फैटी चीजों से हमेशा दूर रहते थे और अपने बच्चों को भी दूर रखते थे. इतना ही नहीं, पौलिथीन के प्रचलन पर कुछ रोज पहले ही उन की मेरे साथ हुई लंबीचौड़ी बहस भी मुझे याद थी.

Hope it helps

Answered by XxterijanemanxX
2

Answer:

वे ईश-पूजा के उपरांत करबद्ध प्रार्थना कर रहे थे-हे प्रभु! सम्पूर्ण विश्व शांति, स्वच्छता, कर्मशीलता, पवित्रता और कल्याण-भाव से संपन्न हो। पूजा के आसन से उठते ही उनकी कड़कती आवाज़ शांत घर को 'अशांत' कर गई- शालिनी! तुमसे इतना भी नहीं होता कि मेरे कपड़े आलमारी से निकाल कर बाहर रख दो। सुबह से किचन में घुसकर ना जाने क्या करती रहती हो? जवाब में पत्नी द्वारा उनके लिए नाश्ता बनाने की बात सुनकर वे और जोर से बरस पड़े- बस-बस चुप रहो। हर बात का जवाब तुम्हारी ज़बान पर तैयार ही धरा रहता है।

वे ईश-पूजा के उपरांत करबद्ध प्रार्थना कर रहे थे-हे प्रभु! सम्पूर्ण विश्व शांति, स्वच्छता, कर्मशीलता, पवित्रता और कल्याण-भाव से संपन्न हो। पूजा के आसन से उठते ही उनकी कड़कती आवाज़ शांत घर को 'अशांत' कर गई- शालिनी! तुमसे इतना भी नहीं होता कि मेरे कपड़े आलमारी से निकाल कर बाहर रख दो। सुबह से किचन में घुसकर ना जाने क्या करती रहती हो? जवाब में पत्नी द्वारा उनके लिए नाश्ता बनाने की बात सुनकर वे और जोर से बरस पड़े- बस-बस चुप रहो। हर बात का जवाब तुम्हारी ज़बान पर तैयार ही धरा रहता है। 

घर से कार्यालय तक के मार्ग पर पाऊच की पीक और सिगरेट के धुएँ से 'अस्वच्छता' के बीज बोते गए। वहां जाकर बॉस पर उपहार का अस्त्र चलाकर 'कर्म' से मुक्ति पाई और दो वयस्क बच्चों के पिता होने को विस्मृत कर युवा स्टेनो से 'स्वीट सिक्सटीन' वाली बातें करते हुए अपनी 'पवित्र सोच' का खासा परिचय भी दिया। विगत तीन वर्षों से अपनी पेंशन स्वीकृत कराने हेतु प्रयासरत बुज़ुर्ग शर्मा जी को देखते ही उनसे रिश्वत की बंधी रकम लेकर उनकी फ़ाइल आगे बढ़ाने का हवाई वायदा कर 'अकल्याण' पर भी मोहर लगा दी। इस सबके बावजूद अगली प्रातः उनके मुख पर वही प्रार्थना थी, किन्तु अब ईश्वर उनके मुख और मन का अंतर समझ चुका था। इसलिए वह बाहर से ही नहीं, भीतर से भी पाषाणवत् बना रहा।

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