कथनी और करनी समान होनी चाहिये - अनुछेद लिखिये
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विवेकानंद की150वीं जयंती के मौके पर मॉडल टाउन के परशुराम भवन में तीन दिवसीय सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया। उसके तीसरे और अंतिम दिन रविवार को साध्वी कौशल बाई ने बताया कि श्रीराम माता सीता का पता लगाने के लिए पवन पुत्र हनुमान को भेजते हैं। वे उन्हें पहचान बताने के लिए अंगूठी देते हैं। जिसे वे अपने मुंह में रखकर ले जाते हैं। मुंह में पड़ी अंगूठी श्रीराम-श्रीराम का जाप करती है।
साध्वी ने कहा कि हनुमान जी का चरित्र सभी के लिए एक आर्दश है, किंतु जीवन में सफलता और ऊंचाइयों को छूने को बेताब युवा पीढ़ी श्री हनुमान के जीवन से वह सारे सूत्र व मंत्र सीख सकती है, जो उनके सपनों को हकीकत में बदल सकते है। हनुमान जी के जीवन में ऊर्जा, जोश, उत्साह, उमंग, समर्पण, भक्ति, पराक्रम, परिश्रम सभी मिलता है। उन्होने श्रद्वालुओं को हनुमान चालीसा को भी प्रतिदिन गुनगुनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि मंगलवार और शनिवार का दिन संकटहरता श्री हनुमान जी की भक्ति और आराधना को समर्पित होता है, शनि ग्रह की पीड़ा शांति के लिए श्री हनुमान चालीसा का पाठ प्रभावकारी होता है। मनुष्य की कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। जो मनुष्य बोलता है, वही उसे करना भी चाहिए। उन्होंने मनुष्य के पांच शत्रु होते है काम, क्रोध, माया, मोह और अहंकार जो भी मनुष्य इन पांच शत्रुओं पर विजय हासिल कर लेता है, वह कभी जीवन में दुखी नहीं होता। साध्वी ने कई सुंदर-सुंदर भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
साध्वी ने कहा कि हनुमान जी का चरित्र सभी के लिए एक आर्दश है, किंतु जीवन में सफलता और ऊंचाइयों को छूने को बेताब युवा पीढ़ी श्री हनुमान के जीवन से वह सारे सूत्र व मंत्र सीख सकती है, जो उनके सपनों को हकीकत में बदल सकते है। हनुमान जी के जीवन में ऊर्जा, जोश, उत्साह, उमंग, समर्पण, भक्ति, पराक्रम, परिश्रम सभी मिलता है। उन्होने श्रद्वालुओं को हनुमान चालीसा को भी प्रतिदिन गुनगुनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि मंगलवार और शनिवार का दिन संकटहरता श्री हनुमान जी की भक्ति और आराधना को समर्पित होता है, शनि ग्रह की पीड़ा शांति के लिए श्री हनुमान चालीसा का पाठ प्रभावकारी होता है। मनुष्य की कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। जो मनुष्य बोलता है, वही उसे करना भी चाहिए। उन्होंने मनुष्य के पांच शत्रु होते है काम, क्रोध, माया, मोह और अहंकार जो भी मनुष्य इन पांच शत्रुओं पर विजय हासिल कर लेता है, वह कभी जीवन में दुखी नहीं होता। साध्वी ने कई सुंदर-सुंदर भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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