Hindi, asked by antratapkire37, 1 month ago

कठपुतली बनकर जीने वाले व्यक्ति की दो विशेषताए​

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Answered by divyanshu1243
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Answer:

दूसरों के वश में रहना यानीऽपराधीनता कठपुतली की नियति है। उसे दूसरा ही संचालित करता है। कठपुतली में प्राण यानी चेतना नहीं होती इसलिए पराधीनता के कारण न तो उसे पीड़ा होती है, न ही वह मुक्त होना चाहती है। लेकिन मनुष्य सदैव स्वतंत्र रहना चाहता है, यह उसका स्वभाव है।

Answered by asajaysingh12890
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Answer:

पहली कठपुतली ने अपनी इच्छा तो व्यक्त कर दी कि मुझे स्वतंत्र होना है। लेकिन बाद में उसे अपनी ज़िम्मेदारी महसूस होती है कि स्वतंत्र होने की क्षमता उसमें नहीं है। अकेले स्वतंत्र होना एक अलग बात है तथा दूसरों को भी स्वतंत्र करवाना एक अलग बात है।

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