कठपुतली
गुस्से से उबली
बोली-ये
क्यों हैं मेरे पीछे - आगे?
इन्हें तोड़ दो:
मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।
(क) कठपुतली का जीवन कैसा था ?
(ख) कठपुतली गुस्से से क्यों उबल पड़ी?
(ग) कठपुतली धागे तोड़ने का आग्रह क्यों करती है ?
(घ) कठपुतली को किस बात का दुख था ?
(ङ) 'कठपुतली' शब्द का क्या अर्थ है ?
Answers
Explanation:
1)कठपुतली का जीवन स्वतंत्र नही था। उसे दुसरो के इशारो पर काम करना परता था। उसके हाथ और पैर धागे से बंधे थे।
2)कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि उसे सदैव दूसरों के इशारों पर नाचना पड़ता है और वह लंबे अर्से से धागे में बँधी है। वह अपने पाँवों पर खड़ी होकर आत्मनिर्भर बनना चाहती है। धागे में बँधना उसे पराधीनता लगता है, इसीलिए उसे गुस्सा आता है।
3)कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि उसे सदैव दूसरों के इशारों पर नाचना पड़ता है और वह लंबे अर्से से धागे में बँधी है। वह अपने पाँवों पर खड़ी होकर आत्मनिर्भर बनना चाहती है। धागे में बँधना उसे पराधीनता लगता है, इसीलिए उसे गुस्सा आता है।
4) कठपूतली को उस बात का दुख़ थ के वाहा आजाद नहीं थी।
5)काठ की बनी हुई पुतली जिसे डोरे या तार की सहायता से नचाया जाता है। लाक्षणिक अर्थ में, ऐसा व्यक्ति जो दूसरों के इशारे पर नाचता हो। वह जिसे अपनी सूझ बूझ न हो जो दूसरों के कहने के अनुसार चलता हो।
Explanation:
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