कठपुतली का सारांश अपने शब्दों में लिखिए
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यह कविता भवानीप्रसाद मिश्र द्वारा लिखा गया है जिसमें कवि ने हमें अपनी स्वतंत्रता के लिए सचेत रहने को कहा है| कठपुतली जो दूसरों के इशारे पर नाचती है, एक दिन गुलामी से तंग आकर बोली - ये धागे मेरे शरीर के आगे और पीछे क्यों बाँध रखे हैं? तुम इन्हें तोड़ कर मुझे स्वतंत्र कर दो ताकि मैं अपने पैरों पर खुद चल सकूँ।
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