कठपुतली किसका प्रतीक है
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कठपुतली किसका प्रतीक है?
कठपुतली 'सामान्य जन' यानि 'आम आदमी' की प्रतीक हैं।
व्याख्या :
'कठपुतली' कविता में कवि ने कठपुतली को माध्यम बनाकर आम आदमी की व्यथा को व्यक्त किया है। कविता के माध्यम से कवि थे ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि आजादी का प्रत्येक मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व है। जिस तरह कठपुतलियाँ पराधीनता के बंधनों में जकड़ी हुईं हैं और वह अपनी आजादी को छटपटा रही हैं। वह उन धागों से बने नहीं रहना चाहती हैं जो धागे उन्हें उनकी मर्जी से विपरीत नचाते हैं।उसी तरह आम आदमी को भी पराधीनता के बंधन से मुक्त रहना चाहिए। पराधीनता में कोई भी व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता। स्वतंत्रता बनाए रखना सामान्य मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक है।
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कठपुतलियाँ 'आम आदमी' का प्रतीक हैं ताकि वे अपनी मर्जी का जीवन जी सके।
कठपुतली धागों की सहायता से किसी और के इशारों पर नहीं चलना चाहती। वह इन धागों से मुक्त हो कर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है अर्थात वह स्वतन्त्र होना चाहती है। भावार्थ – कठपुतली दूसरों के हाथों में बंधकर नाचने से परेशान हो गयी है और अब वो सारे धागे तोड़कर स्वतंत्र होना चाहती है।
कठपुतली' कविता के माध्यम से कवि संदेश देना चाहता है कि आजादी का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। पराधीनता व्यक्ति को व्यथित कर देता है। अतः स्वतंत्र होना और उसे बनाए रखना बहुत जरूरी है, भले ही यह कठिन क्यों न हो।
कठपुतली आगे-पीछे धागों से बंधी रहती है और अपने बंधनों को देखकर उसे गुस्सा आ जाता है। वह पराधीन रहकर जीवन बिता रही थी। उसे दूसरों के ईशारों पर नाचने से दुख होता था।
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