Kaua aour hansa ki kahani ka shirsak
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एक थका-हारा यात्री सूरज की गर्मी से अपनी रक्षा करने के लिए उसी अंजीर के पेड़ की छाया मे आकर बैठ गया। दूसरी ओर कोआ बड़ा ही शरारती था। वह हमेशा दूसरों को तंग करने में लगा रहता था। जब उसने पेड़ के नीचे सोए हुए यात्री को धूप से बचाने वाले हंस को देखा, तो वो शांत ना बैठा।
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