kautilya ka antarrashtriya sambandho par mandal siddhant ke vishesh sandarbh mein mulyankan kijiye
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कौटिल्य को भारतीय राजनीतिक विचारों का जनक माना जाता है. उनका जन्म चौथी ईसा पूर्व मगध राज्य में हुआ. उनके बचपन का नाम विष्णुगुप्त था तथा उन्हें चाणक्य भी कहा जाता है. उन्होंने विश्व प्रसिद्ध पुस्तक “अर्थशास्त्र” की रचना की. उनकी शिक्षा-दीक्षा तक्षशिला विश्वविद्यालय में हुई बाद में वे वहीं अध्यापक भी थे. एक बार नन्द राजा द्वारा आयोजित ब्राह्मण भोज में उन्हें आमंत्रित किया गया जहाँ नन्द राजा ने कौटिल्य का अपमान किया. इसके चलते कौटिल्य ने नन्द वंश का समूल नाश करने की प्रतिज्ञा की. उन्होंने चन्द्र गुप्त मौर्य नामक एक सैनिक को प्रशिक्षण प्रदान किया तथा उसके द्वारा नन्द वंश का तख्तापलट कर दिया. इसी के साथ महान् मौर्य वंश का उत्थान हुआ. कौटिल्य ने सर्वप्रथम एक व्यवस्थित राज्य व्यवस्था का विचार प्रदान किया.
राज्य की उत्पत्ति
उन्होंने राज्य की उत्पत्ति का समझौतावादी सिद्धांत दिया है अर्थात् उन्होंने कहा कि राज्य में पहले मत्स्य् न्याय था जिसके चलते अव्यवस्था उत्पन्न हो गयी. तब लोगों ने मनु को अपना राजा चुना. राज्य के लोगों ने मनु को कर के रूप में अपने अनाज का छठा भाग, व्यापार का दसवाँ भाग तथा पशु व्यापार लाभ का पचासवाँ भाग देने का वचन दिया.
सप्तांग सिद्धांत
कौटिल्य ने राज्य के सात अंगों का वर्णन किया है तथा राज्य के सभी अंगों की तुलना शरीर के अंगों से की है. जबकि आधुनिक राज्यों में राज्य के चार लक्षण या अंग पाए जाते हैं. कौटिल्य द्वारा वर्णित राज्य के सात अंग निम्नलिखित हैं-
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