कवि आरसी प्रसाद सिंह ने मर जाना किसे कहा है
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चलना है, केवल चलना है ! जीवन चलता ही रहता है !
रुक जाना है मर जाना ही, निर्झर यह झड़ कर कहता है
कवि के अनुसार जब निर्झर रुक जाता है उसे ही मर जाना कहा है।
See the poem here -
kavitakosh.org/kk/जीवन_का_झरना_/_आरसी_प्रसाद_सिंह
रुक जाना है मर जाना ही, निर्झर यह झड़ कर कहता है
कवि के अनुसार जब निर्झर रुक जाता है उसे ही मर जाना कहा है।
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कवि आरसी प्रसाद सिंह ने अपनी कविता "जीवन का झरना" में निर्झर के माध्यम से यह कहा है कि जब हम थक-कर और हार कर जीवन की परेशानियों का सामना नहीं कर पाते बल्कि इनसे दूर भागते हैं और स्वयं को कमज़ोर समझने लग जाते हैं,तब हम रुक जाते हैं और यही रुक जाना मर जाने के समान हैIजबकि जीवन तो एक निर्झर की भांति जीने और आगे बढ़ने के लिए मिलता है,जो बीत गया है उसे भूल कर पीछे छोड़ कर हमे आगे ही बढ़ते जाना चाहिएI
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