Hindi, asked by vamsisudha7114, 9 months ago

कवि ऐसा क्यों कहता है की अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी

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Answered by Ronney123
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Answer:

Jo log eshwer main gehen aastha rakhte hain aur poora jeevan unki seva karne ka mann rakhte hain wo

log kai baar eshwer astha main itna ram jaate hain ki unhe deen Duniya is dhyaan nhi rehta kewal prabhu ka dhyaan rehta hai.

Kavi bhi isi manosthiti main hain aur wo kehta hain ki main eshwer ke dhyaan main itna ram gya hun ki is sthiti se bahar nhi aa paunga kewal eshwer ka naam japunga.

Answered by Anonymous
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प्रभु ! हमारे मन में जो आपके नाम की रट लग गई है, वह कैसे छूट सकती है ? अब मै तुमारा परम भक्त हो गया हूँ । जो चंदन और पानी में होता है । चंदन के संपर्क में रहने से पानी में उसकी सुगंध फैल जाती है , उसी प्रकार मेरे तन मन में तुम्हारा प्रेम की सुगंध व्याप्त हो गई है । आप आकाश में छाए काले बादल के समान हो , मैं जंगल में नाचने वाला मोर हूँ । जैसे बरसात में घुमडते बादलों को देखकर मोर खुशी से नाचता है , उसी भाँति मैं आपके दर्शन् को पा कर खुशी से भावमुग्ध हो जाता हूँ । जैसे चकोर पक्षी सदा अपने चंद्रामा की ओर ताकता रहता है उसी भाँति मैं भी सदा तुम्हारा प्रेम पाने के लिए तरसता रहता हूँ ।

है प्रभु ! तुम दीपक हो , मैं तुम्हारी बाती के समान सदा तुम्हारे प्रेम जलता हूँ । प्रभु तुम मोती के समान उज्ज्वल, पवित्र और सुंदर हो । मैं उसमें पिरोया हुआ धागा हूँ । तुम्हारा और मेरा मिलन सोने और सुहागे के मिलन के समान पवित्र है । जैसे सुहागे के संपर्क से सोना खरा हो जाता है , उसी तरह मैं तुम्हारे संपर्क से शुद्ध –बुद्ध हो जाता हूँ । हे प्रभु ! तुम स्वामी हो मैं तुम्हारा दास हूँ ।

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