कवि बच्चन को कैसा संसार अच्छा नहीं लगता और क्यों
poem name is Atmaparichay
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आत्मपरिचय
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आत्मपरीचय इस कविता में श्री हरिवंश राय बच्चन जी कहते हैं कि इस संसार से मेरा कोई लेना देना नहीं है।इस संसार की ये दुनियादारी को बातें मुझे एक बोझ कि तरह लगती हैं।जो लोग ये परंपरा निभाने में माहिर हैं दुनिया केवल उन्हें है पूछेगी।हालांकि जो लोग मेरे करीब
हैं,मुझे उनकी फिक्र है लेकिन मैं उनके तरह व्यवहार कुशल नहीं हूं।इसीलिए यह संसार अपना जीवन जिए और मुझे अपना जीवन जीने दे।
यहां हमें ये समझ आता है कि कवि अपने सपनों की दुनिया में जीना चाहता है उससे सांसारिक बातों से कोई लेना देना नहीं है हालांकि उससे अपने परिवार कि फिक्र है मगर वो दुनियादारी लें देन से दूर रहना चाहता है।
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