कवि भगवान से क्या प्रार्थना करता है
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आत्मत्राण का अर्थ है आत्मा का त्राण अर्थात् आत्मा या मन के भय का निवारण, उससे मुक्ति। कवि चाहता है कि जीवन में आने वाले दुखों को वह निर्भय होकर सहन करे। ... कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले इसलिए यह शीर्षक पूर्णतया सार्थक है।
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