कवि गुरु नानक जी की कविता का नाम
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सुख सनेह अरु भय नहिं जाके, कंचन माटी जानै।। नहिं निंदा नहिं अस्तुति जाके, लोभ-मोह अभिमाना। हरष शोक तें रहै नियारो, नाहिं मान-अपमाना।। आसा मनसा सकल त्यागि के, जग तें रहै निरासा।
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गुरुबानी
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