कवि की आंख फागुन की सुंदर सा से क्यों नहीं हट रही थी?
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प्रश्न: कवि की आंख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर: फागुन में प्रकृति में सर्वत्र सुंदरता व्यापक हो गई है | इसलिए कभी कहता है कि वह जिधर भी देख रहा है, उससे सब ओर फागुन की सुंदरता ही दिखाई पड़ रही है | उसकी आंखें उस सुंदरता पर से हट नहीं पा रही |
कवि की आँख फागुन की सुंदर सा से क्यों नहीं हट रही थी?
कवि की आँखों से फागुन की सुंदरता इसलिए नहीं हट रही है, क्योंकि फागुन का मौसम बड़ा ही मनमोहक और सुंदर होता है। फागुन के माह में चारों तरफ प्राकृतिक सुंदरता बिखरी होती है। चारों तरफ का दृश्य हरा भरा दिखाई देता है। जिधर देखो रंग-बिरंगे फूल खिले दिखाई देते हैं और उन फूलों की सुगंध वातावरण को मदमस्त कर देती है।
पेड़ों पर हरी हरी पत्तियां दिखाई देती हैं, बीच-बीच में लाल पत्तियां पेडों के सौंदर्य को और बढ़ा देती है। वातावरण में फूलों की मंद मंद मनमोहक सुगंध हृदय को और अधिक आनंदमयी बना देती है इन सब के कारण ही कवि की आँखों से फागुन की सुंदरता नहीं हट रही।
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