कवि को ऐसा क्यों लग रहा था कि निशा का सवेरा फिर से नहीं होगा?
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photo to lagao
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tabhi to bataoonga
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आँधी ने पूरे आसमान को इस तरह से ढँक दिया था कि दिन में भी रात जैसा अँधेरा हो गया था | रात तो इतनी ज्यादा अँधकारमय थी कि ऐसा लगता था जैसे अब कभी सुबह नहीं होगी | यहाँ अँधेरा संकटों तथा दुखों का प्रतीक है और सवेरा उन संकटों तथा दुखों के समाप्त होने की आशा है | कवि कह रहे हैं कि यह दुख इतना बड़ा है कि लगता है वो कभी समाप्त ही नहीं होगा |
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Hope it helps :)
@PritamKitty05
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