कवि के अनुसार किस वक़्त जीना इंसान का फ़र्ज़ है?
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जिस वक़्त जीना गैर मुमकिन सा लगे, उस वक़्त जीना फर्ज है इंसान का फ़र्ज़ है
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जिस वक़्त जीना गैर मुमकिन सा लगे,
उस वक़्त जीना फर्ज है इंसान का,
लाजिम लहर के साथ है तब खेलना,
जब हो समुन्द्र पे नशा तूफ़ान का
जिस वायु का दीपक बुझना ध्येय हो
उस वायु में दीपक जलाना धर्म है।
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