कवि के अनुसार मानव समाज का भाग्य क्या है। उसकी सक्ती क्या है।
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कवि के अनुसार मानव समाज का भाग्य मानव का श्रम है ,उसका बाहुबल है। कवि की दृष्टि में मानव - समाज का भाग्य एक समान ही होना चाहिए,जिससे कि कारण करने वालो को उनके श्रम का उचित फ़ल मिले।
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