कवि के अनुसार मनुष्य की संपूर्ण चेतना की कबीरी चादर किस प्रकार के भावो से बनी है? सहर्ष स्वीकारा है कविता के आधार पर बताओ।
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¿ कवि के अनुसार मनुष्य की संपूर्ण चेतना की कबीरी चादर किस प्रकार के भावो से बनी है? ‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता के आधार पर बताओ।
➲ ‘गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा रचित “सहर्ष स्वीकारा है” कविता के आधार पर कहें तो कवि के अनुसार मनुष्य की संपूर्ण चेतना की कबीरी चादर अंधेरे-उजाले, सुख-दुख, स्मृति-विस्मृति के ताना-बाने-भरनी से बुनी गयी है। इस कबीरी चादर को आत्मा चारों ओर से लपेट लेना चाहती है। कवि के अनुसार जीवन किसी का नहीं क्योंकि यह सब उसकी परछाई है।
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