Hindi, asked by anoopkataria12, 5 months ago

कवि के अनुसार तंग गालियों मैं कितनी अगरबत्ती बनती है? ​

Answers

Answered by shishir303
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कवि के अनुसार तंग गलियों में पूरे देश की अगरबत्तियां बनती हैं।

व्याख्या ⦂

✎... ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ में कवि ने बताया है कि तंग बस्तियों की तंग गलियों में पूरे देश की अगरबत्तियां बनती हैं।

इस कविता का मुख्य उद्देश्य समाज के उन मेहनतकश लोगों की दयनीय अवस्था की ओर सबका ध्यान आकर्षित कराना है, जिनकी बनाई चीजों से लोगों के अनेक तरह की सुख-सुविधायों प्रदान करती हैं, लेकिन दूसरों के लिये आरामदायक वस्तुओं बनाने वाले इन लोगों का जीवन तमाम तरह के दुख और कष्टों से भरा होता है।

कवि कहता है कि तंग गलियों में रहने वाले लोग पूरे देश के लिये अगरबत्तियां बनाते हैं। उनकी बनाई अगरबत्तियों से लोगों के घर में तो सुगंध बिखरती है, परंतु जो लोग ये अगरबत्तियां बनाते हैं वह बेहद दयनीय स्थिति में काम करते हैं। वह बदबूदार जगहों, कूड़ा-करकट से युक्त जगहों, नालियों आदि के निकट आदि जैसी जगह पर काम करते हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। उनके अपने जीवन में सुगंध नहीं है।

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