कवि के dawanal की ज्वालाए किसे kaha hai
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कवि के समय में हमारा देश गुलाम था। देश को आजाद कराने के प्रयत्न किए जा रहे थे। जिससे भारतीयों को भयंकर और दुखदायी कष्टों का सामना करना पड़ रहा था। इस लिए हमारे लिए परतंत्रता ही दावानल की ज्वालाएँ थीं। कवि यह नहीं जानता कि आधी रात के समय कूकने वाली कोयल के लिए दावानल की ज्वालाएं क्या थीं।
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