कवि का क्या कह रहे है अर्थ बताइए|झुठे सुख को सुख कहे मानत है मन मोद खलक चबैना काल का कुछ मुह मे कुछ गोद ॥
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झूठे सुख को सुख कहे, मानत है मन मोद। खलक चबैना काल का, कुछ मुंह में कुछ गोद। भावार्थ: कबीर कहते हैं कि अरे जीव ! ... देख यह सारा संसार मृत्यु के लिए उस भोजन के समान है, जो कुछ तो उसके मुंह में है और कुछ गोद में खाने के लिए रखा है।...
happy day ☺☺☺
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- देख यह सारा संसार मृत्यु के लिए उस भोजन के समान है, जो कुछ तो उसके मुंह में है और कुछ गोद में खाने के लिए रखा है।...
Thanks..
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