Hindi, asked by kiranwagh707070, 6 months ago

कवि की कल्पना में है -चादनी And रात्रि​

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Answered by vk91552600
3

Answer:

where is question ? plz wrote the question then u help u

Answered by demobectranuser121
1

Answer:please mark me as brainlist answer please I hope I this will help you

कवि की कल्पना 

जब घिरेंगी बंदिशें और सत्य का प्रतिकार होगा

फिर कहो कवि कल्पना का, क्या प्रमुख आधार होगा

जब बुराई जीत जाए, रात दिन के हर प्रहर में

और भलाई मात खाए , ज़िन्दगी के हर समर में

जब नियंत्रण फूल पर हो, गंध के व्यापारियों के

और समझौते हवा से, हो लरजती डालियों के

तब बिखरती ज़िन्दगी का क्या कोई आकार होगा

फिर कहो कवि कल्पना का.......................

जब उजाले भी, अंधेरों की शरण में मुस्कुराए

न्याय निष्ठा के पुरोधा, सब खड़े हों सर झुकाए

जब लगा दे आग माली, खुद चमन की हर कली को

और दीपक ही बुझा दें , जगमगाती हर गली को

तब भरोसे का कहाँ, कोई कहो संसार होगा

फिर कहो कवि कल्पना का.......................

जब मिलन की प्यास ही, व्याकुल विरह के गीत गाये

दृश्य देखें दृग जलन के, कोर में सावन छिपाए

जब निशानी प्यार की ही, नफरतों के बीज बोए

चूड़ियाँ, सिन्दूर, पायल, उम्र भर के बोझ ढोए

जब नहीं राँझे का अपनी हीर पर अधिकार होगा

फिर कहो कवि कल्पना का....................

जब समंदर पीर के थम, जाएं आँखों के दवारे

और बिखरकर चूमने को, मौज ना पाए किनारे

जब हँसी दिल की उदासी में उतरकर डूब जाए

साँस औ धड़कन खुद अपने ,गति चलन पर ऊब जाए

जब मनुज का जन्म, इस पावन धरा पर भार होगा

फिर कहो कवि कल्पना का.........................

जब सितारे, चाँद, सूरज भी गगन से रूठ जाएँ

धैर्य टूटे जब धरा का, सब दिशा आँसू बहायेें

जब नदी, पोखर, जलाशय आदमी के पाप धोए

वृक्ष, वन, उपवन, बगीचे, सावनी एहसास खोयें

जब धरा के रूप का दिन और प्रतिदिन क्षार होगा

फिर कहो कवि कल्पना का..........................

जब घिरेंगी बंदिशें और सत्य का प्रतिकार होगा

फिर कहो कवि कल्पना का, क्या प्रमुख आधार होगा

~रोहित अवस्थी ~

- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है। 

आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के

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