कवि का 'खुशबू रचते हैं हाथ' से क्या अभिप्राय है? *
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'खुशबू रचते हैं हाथ' से कवि का तात्पर्य है , मजदूर वर्ग के लोगों से है | यह छोटे-छोटे घरों , नगरों , बस्तियों में रह कर , छोटा काम कर भी लोगों के हाथ खुशबूदार पदार्थों की रचना करते हैं। ... यहाँ पर कवि श्रमिकों की प्रशंसा नहीं करना चाहता है बल्कि वह यह कहना चाहता है कि हमें उनकी दशा सुधारने की बात सोचनी चाहिए।
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