कवि का मानना है कि आज शोषणकारी ताकते अधिक हावि हो रहि है। 'आज की शोशणकारी शकितया ' विषय पर ऐक अनुच्छेद लिखिए
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Answers
शोषणकारी ताकतें का अर्थ है ऐसी ताकतें जो मनुष्य का शोषण करती हैं। आज के समय में ऐसी बहुत से तत्व है। जैसे महंगाई, आतंक, हिंसा, भ्रष्टाचार ऐसी ही ताकतें हैं, जो लोगों का लगातार शोषण कर रही हैं। मनुष्य इन ताकतों के आगे बेबस हो रहा है। ये ताकतें चारों ओर फैली हुई है। कोई भी देश, स्थान हो वह इनसे त्रस्त है।......
उत्तर :- कवि की यह बात बिलकुल सही है कि आज शोषणकारी ताकतें अधिक हावि हो चुकी है |
धीरे – धीरे शोषण बडता जा रहा है | कहने को तो हमारा समाज सभ्य है | पर हमारी सभ्यता संस्कृति पर नहीं , शोषण पर टिकी है | आज उसी को श्रेष्ठ माना जाता है जिसके पास गाड़ी है ,कोठी है , जिसके बच्चे बड़े स्कूलों में जाते हैं | लोग यह जानने की कोशिश बिलकुल भी नहीं केरते हैं की यह पैसा उनके पास कहाँ से आ रहा है | उन लोगों की जयजय कार होती है और वह लोग समाज के महापुरुष बनते जा रह हैं |
इसी कारण आज ईमानदार आदमी धक्के खा रहा है, उसकी समाज में कोई इज्जत नहीं है | उसकी ईमानदारी का मज़ाक बनाया जाता है | इस कारण आज वह व्यक्ति अपने आदर्श बदलता जा रहा है | वह सेवा, त्याग और ईमानदारी को त्याग कर व्यवसायी बन रहा है | इसी व्यवसायिकता में शोषण छीपा है | और वयवसायीक वयक्ति केवल यह सोचता है कि उसने धन कैसे कमाना है और वह इस कारण वह दूसरे लोगों का शोषण करता है | और इस कारण आज कदम – कदम पर शोषण कर्ता मिलते हैं | बल्कि हम भी इसी शोषण का शिकार बन जाते है और दूसरों का शोषण करने लगते हैं |