कवि का प्राण मन क्यों घिर रहा है
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ऐसे में कवि के मन को स्मृतियाँ घेर रही हैं। जैसे-जैसे पानी गिर रहा है, वैसे-वैसे कवि के हृदय में प्रियजनों की स्मृतियाँ चलचित्र की तरह उभरती जा रही हैं। पानी के बरसने के कारण ही उसके प्राण व मन घर की याद में व्याकुल हो जाते है
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