कवि को राम- नाम की रट क्यों नहीं भूलती ?
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दूसरे पद की 'जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। इस पंक्ति का आशय है कि सांसारिक लोग नीच जाति में उत्पन्न होने वालों के प्रति स्पर्श दोष मानते हुए उन्हें अछूत मानते हैं, पर ईश्वर उन लोगों पर भी कृपा करते हैं।
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प्रभु से एकाकार होने के कारण
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