कवि किस बन्धन को तोड़ने की बात कह रहा है?
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कवि समाज में व्याप्त तमाम तरह की बुराइयों, कुरीतियों, रूढ़ियों और सड़े गले रीति-रिवाजों के परंपरागत बंधनों को तोड़ने की बात कह रहा है।
व्याख्या :
‘हम दीवानों की हस्ती’ में कवि चाहता है कि हम अपने समाज में फैली बुराइयों को दूर करें। कुरीतियों को मिटाएं, रूढ़ियों से मुक्ति पाएं और ऐसे बेकार के रीति रिवाज के परंपरागत बंधनों को तोड़कर स्वच्छंद भाव से जिएं। तब भी इस दुनिया में खुशी प्राप्त कर सकते हैं।
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