कवि किसकी आखों मे झाकने से डरता है
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कवि किसान की आंखों में झांकने से डरता है।
• कवि सुमित्रानंदन पंत को अंधकार से डर नहीं लगता परन्तु उन्हें किसान की गुहा जैसी आंखों में झांकने से डर लगता है ।
• कवि को उन आंखों से इसलिए डर लगता है क्योंकि उन आंखों में पीड़ा है।
• कवि को इस बात का दुख है की वह किसानों के लिए कुछ नहीं कर पा रहा है।
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