कवि का दुख के बारे मे क्या मत है
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कवि का मानना है कि जीवन में दुःख और सुख तो आते रहते हैं, पर दुख की घड़ियों में सुखों को याद नहीं करना चाहिए। व्याख्या- कवि कहता है कि हे मेरे मन, जीवन में आने वाले दुख के समय छाया रूपी सुख को मत छूना क्योंकि इससे दु:ख कम नहीं होता बल्कि वह दो गुना बढ़ जाता है।
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