कवि की दृष्टि से किस का जीवन अभिशापित है ?
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कवि की दृष्टि में मनुष्य का जीवन अभिशाप है क्योंकि वह अपने तुच्छ अहंकार रूपी भावना से दिन-रात घिरे हुए रहता है।
कवि के अनुसार कहने को तो मनुष्य ईश्वर का प्रतिनिधि है, लेकिन वह विश्व चेतना से दूर चला गया है और दिन रात में अपने अहंकार वाली भावना में फंसा रहता है। इस कारण वो अकेला पड़ गया है। उसे प्रकृति से सीख लेनी चाहिए तभी उसके मन से अहंकार, विषाद आदि दूर होंगे और उसे मनुष्य ईश्वर के सच्चे प्रतिनिधि का गौरव प्राप्त होगा।
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