कवि कहते है कि बहुत लोग ऐसे है जो घर से बाहर निकलते समय झिझकते है. डरते
लकिन उन मालूम नहीं कि घर से बाहर निकलकर बाहर की दुनिया को जानना चाहिए।
स्वयं को इस दुनिया में जीने लायक बना लेना चाहिए।
3. ऐ मालिक तेरे बन्दे हम
प्रस्तुत कविता में कवि भगवान से प्रार्थना करते है-हे ईश्वर. तुम हमारे रक्षक हो, हम तुम
गुलाम है। तुमरो प्रार्थना है कि हमारा कर्म ऐसा हो जिससे हम नेक रास्ते पर चले और बुराई
बचे ताकि हम मुस्कुराते हुए आखिरी सांस छोडे ।
सब जगह अधेरा छा गया है और मनष्य डर के मारे कुछ नहीं सोच पाता है उसे कुछ
दिखाई नहीं देता है। धीरे-धीरे सख रूपी सुरज ओझल होता जा रहा है। लेकिन तुम आप
शाक्त सइस अमावास्या के अधेरापन को पर्णिमा की रोशनी में बदल दो। हमारा रास्ता नक
और बुराई से हमें बचायें।
आगे कवि कहते हैं कि जहाँ भी अन्याय होता है, उससे हमें ज़रूर बचाना। भले, दूसरे
अन्याय करें, बुराई करें लेकिन उसके बदले में हमें भलाई करने की हिम्मत दो। हमारे मन
यह कामना कमी न बदल, हमारे मन का प्यार बढ़ता रहे। मन में द्वेष भावना का जो भ्रम है।
मिटे। हमारा रास्ता नेक हो । बुराई से हमें बचाये ताकि मुस्कुराते हुए हम आखिरी सांस छोड़
मनुष्य बहुत कमजोर है । अभी भी उसमें लाखों कमियाँ हैं। हे भगवान, तुम बड़े दयालू हो।
अपनी कृपा से इस धरती की रक्षा करते हो। तुमने हमें जन्म दिया है। तुम हमारे दुखों
मिटाओ। हमारा रास्ता नेक हो। बुराई से हमें बचाओ। हम मुस्कुराते हुए आखिरी सांस छोटे
4. होंगे कामयाब, हागे कामयाब
प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि हमारा आत्मविश्वास जाग्रत करते हैं। कवि कहते हैं।
हमारा प्रयास व्यर्थ नहीं होगा। हमें विश्वास है और पूरा विश्वास है कि एक-न-एक दिन अ
हम विजय प्राप्त करेंगे।
कवि कहते हैं कि पूरे देश में जो अशांति फैली हुई है, वह समाप्त होकर चारों ओर शाति
स्थापना होगी। हमें विश्वास है और पूरा विश्वास है कि एक-न-एक दिन अवश्य हम वि
प्राप्त करेंगे।
आगे कवि कहते हैं कि हम भारतवासी एक साथ मिलकर रहेंगे और कंधे से कंधा मिल
चलेंगे। हमें इस बात पर विश्वास है आर पूरा विश्वास है कि हम एक-न-एक दिन आपस
अपनी दुश्मनी छोड़कर एक साथ मिल-जुलकर रहेंगे।
अंत में कवि कहते हैं कि आज के दिन हमें किसी से डर नहीं है। किसी से भय नहीं है। वह
और डर दूर हो गया है, क्योंकि हम सब एक साथ मिल गये हैं और एक हो गये हैं। हमें
कुछ नहीं कर सकता। हमें विश्वास है और पूरा विश्वास है कि एक-न-एक दिन हम
मंजिल तक पहुँचेंगे और सफलता प्राप्त करेंगे।
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yak kavi ne bagavan ko prarthana karthi hai ki he bagavan hamko Santhi do Santhi se ham kamayabi banjathe hai|
Hamare charo ore Santhi se hothe tho hamko kamyab milthe hai|
I THINK IT CAN HELP YOU
I WRITTEN SOME ONLY OK
MARK ME AS BRAINLIST
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