कवि कविता में बच्चे के बचपने को विवरण की तरह न लिखने को कहा है? क्यो?
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kyon ki bache ke viran ko likha ni ja sakta may be
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कवि ने बच्चे और कविता को समानांतर रखा है। बच्चों में रचनात्मक ऊर्जा होती है। उनके खेलने की कोई निश्चित सीमा नहीं होती। उनके सपने असीम होते हैं। इसी तरह कविता भी रचनात्मक तत्वों से युक्त होती है। उसका क्षेत्र भी विस्तृत होता है। उनकी कल्पना शक्ति अद्भुत होती है।
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