कवि मैथिली शरण गुप्त के अनुसार मनुष्य का जनकारी हो जाता है और क्यों ?
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well too keen muskan ki results Raju yes wanted reckless
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कवि के अनुसार मनुष्य वही है जो दूसरे मनुष्यों के लिए मरे अर्थात जो मनुष्य दूसरों की चिंता करे वही असली मनुष्य कहलाता है। उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती। ... इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त हैं। इन पंक्तिओं में कवि बताना चाहता है कि जो मनुष्य दूसरों के लिए जीते हैं उनका गुणगान युगों – युगों तक किया जाता है।
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