कवि ने आकाश को सिर पर बांधे साफे के समान क्यों कहा है? Chp 8 शाम - एक किसान
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इस कविता के माध्यम से कवि ने पर्वतीय प्रदेश के सायंकालीन प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाने का प्रयास किया है। शाम को किसान के रूप में बताया है। पहाड़ किसान के रूप में घुटने मोड़े बैठा है। उसके सिर पर आकाश का साफ़ा बँधा है और घुटनों पर नदी की चादर पड़ी है।
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kyoki kavi ko akash ak safee Or dharti ak kisan lag rhi h
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