कवि ने आकाश की तुलना साफे से क्यों की है
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आकाश की कल्पना साफे के रूप में की गई है क्योंकि जब कवि अपने खेतों में बैठकर पहाड़ की ओर देखता है तो लगता है की पहाड़ आकाश का साफा बांधकर सूरज की चिलम फूंक रहा है।
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आकाश की कल्पना साफे के रूप में की गई है क्योंकि
जब कवि अपने खेतों में बैठकर पहाड़ की ओर देखता है
तो लगता है की पहाड़ आकाश का साफा बांधकर सूरज
की चिलम फूंक रहा है।
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